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Showing posts from January, 2021

Parasnath Stotra | Parasnath Stotra Lyrics

Parasnath Stotra | पारसनाथ स्तोत्र | Parasnath Stotra Sanskrit  Jain Tirthankar Stotra Shri Parshvanath Stotra or Parasnath Stotra full lyrics in Hindi are given. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community.  Parasnath Stotra lyrics | पारसनाथ स्तोत्र  Shri Parasnath Stotra or Parshvanath Stotra full lyrics in Hindi - नरेन्द्रं फणीन्द्रं सुरेन्द्रं अधीशं, शतेन्द्रं सु पुजै भजै नाय शीशं । मुनीन्द्रं गणीन्द्रं नमे जोड़ि हाथं, नमो देव देवं सदा पार्श्वनाथं ॥१॥ गजेन्द्रं मृगेन्द्रं गह्यो तू छुडावे, महा आगतै नागतै तू बचावे । महावीरतै युद्ध में तू जितावे, महा रोगतै बंधतै तू छुडावे ॥२॥ दुखी दुखहर्ता सुखी सुखकर्ता, सदा सेवको को महा नन्द भर्ता । हरे यक्ष राक्षस भूतं पिशाचं, विषम डाकिनी विघ्न के भय अवाचं ॥३॥ दरिद्रीन को द्रव्य के दान दीने, अपुत्रीन को तू भले पुत्र कीने । महासंकटों से निकारे विधाता, सबे सम्पदा सर्व को देहि दाता ॥४॥ महाचोर को वज्र को भय निवारे, महपौन को पुंजतै तू उबारे । महाक्रोध की अग्नि को मेघधारा, महालोभ शैलेश को वज्र मारा ॥५॥

Barah Bhavna | बारह भावना | Barah Bhavna lyrics

Barah Bhavna | बारह भावना Barah Bhavna ( बारह भावना ) full including Vishnupad Chhand  (विष्णुपद छंद) , १. अनित्य भावना, २. अशरण भावना, ३. संसार भावना, ४. एकत्व भावना, ५. अन्यत्व भावना, ६. अशुचि भावना, ७. आस्रव भावना, ८. संवर भावना, ९. निर्जरा भावना, १०. लोक भावना, ११. बोधि-दुर्लभ भावना, १२. धर्म भावना. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community.  If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   Barah Bhavna lyrics | बारह भावना Barah Bhavna Jain full in Hindi is as given below - वंदूँ श्री अरिहंतपद, वीतराग विज्ञान | वरणूँ बारह भावना, जग-जीवन-हित जान ||१|| (विष्णुपद छंद) कहाँ गये चक्री जिन जीता, भरतखंड सारा | कहाँ गये वह राम-रु-लक्ष्मण, जिन रावण मारा || कहाँ कृष्ण-रुक्मिणि-सतभामा, अरु संपति सगरी | कहाँ गये वह रंगमहल अरु, सुवरन की नगरी ||२|| नहीं रहे वह लोभी कौरव, जूझ मरे रन में | गये राज तज पांडव वन को, अगनि लगी तन में || मोह-नींद से उठ रे चेतन, तुझे जगावन को | हो दयाल उपदे

Mahavir Stotra | Mahavir Stotra Sanskrit | महावीर स्तोत्र

Mahavir Stotra |Mahavir Stotra Lyrics Jain Tirthankar Stotra Shri Mahavir Stotra ( महावीर स्तोत्र ) full in Sanskrit written by poet Bhagchand ji. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community.  महावीर स्तोत्र | Mahavir Stotra  Mahavir Stotra - Jain Tirthankar Stotra full in Sanskrit is as given below - शिखरिणी छंद :  यदीये चैतन्ये मुकुर इव भावाश्चिदचितः समं भान्ति ध्रौव्य व्यय-जनि-लसन्तोऽन्तरहिताः। जगत्साक्षी मार्ग-प्रकटन परो भानुरिव यो महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु में॥1॥ अताम्रं यच्चक्षुः कमल-युगलं स्पन्द-रहितं जनान्कोपापायं प्रकटयति वाभ्यन्तरमपि। स्फुटं मूर्तिर्यस्य प्रशमितमयी वातिविमला महावीर-स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥2॥ नमन्नाकेंद्राली-मुकुट-मणि-भा जाल जटिलं लसत्पादाम्भोज-द्वयमिह यदीयं तनुभृताम्‌। भवज्ज्वाला-शान्त्यै प्रभवति जलं वा स्मृतमपि महावीर स्वामी नयन-पथ-गामी भवतु मे॥3॥ यदर्च्चा-भावेन प्रमुदित-मना दर्दुर इह क्षणादासीत्स्वर्गी गुण-गण-समृद्धः सुख-निधिः। लभन्ते सद्भक्ताः शिव-सुख-समाजं किमुतदा महावीर-स्वामी नयन-पथ-

Chaubisi Stotra | 24 तीर्थंकर चौबिसी स्तोत्र

Chaubisi Stotra | 24 Tirthankar Chaubisi Stotra | चौबिसी स्तोत्र  Chaubisi Tirthankar, Tirthankar Chaubisi stotra Jain in Hindi. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community तीर्थंकर चौबिसी स्तोत्र Shri Jain Tirthankar Chaubisi Stotra full in Hindi is as given below - जैन चौबीसी स्तोत्र  घनघोर तिमिर चहुंओर या हो फिर मचा हाहाकार कर्मों का फल दुखदायी या फिर ग्रहों का अत्याचार प्रतिकूल हो जाता अनुकूल लेकर बस आपका नाम आदिपुरुष, आदीश जिन आपको बारम्बार प्रणाम।।1।। आता-जाता रहता सुख का पल और दु:ख का कोड़ा दीन-दु:खी मन से, कर्मों ने जिसको कहीं का न छोड़ा हर पतित को करते पावन, मन हो जाता जैसे चंदन जग में पूजित 'श्री अजित' आपको कोटि-कोटि वंदन।।2।। सूर्य रश्मियां भी कर न सकें जिस तिमिर में उजियारा ज्वालामुखी का लावा तुच्छ ऐसा जलने वाला दुखियारा शरण में आकर आपकी हर पीड़ा से मुक्त हो तर जाता पूजूं 'श्री संभव' चरण कमल फिर क्या असंभव रह जाता।।3।। सौ-सौ पुत्र जनने वाली माता जहां कर्मवश दु:खी रहा करतीं माया की नगरी में जहां प्रजा ह

Samadhi Maran Path | समाधि मरण पाठ

Samadhi Maran Path | समाधि मरण पाठ | Samadhi Maran Samadhi Maran or Samadhi Maran Path or समाधि मरण पाठ full lyrics in Hindi is available here. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community  If you   are interested to read Any of Jain Tirthankar Chalisa then you can simply  Click Here  then you will be redirect to all Jain Tirthankar Chalisa Page and then you can read any of them. Samadhi Maran Path |  समाधि मरण पाठ  Samadhi Maran Path full in Hindi is as given below - गौतम स्वामी वन्दों नामी मरण समाधि भला है। मैं कब पाऊँ निशदिन ध्याऊँ गाऊँ वचन कला है॥ देव-धर्म-गुरु प्रीति महादृढ़ सप्त व्यसन नहिं जाने। त्यागे बाइस अभक्ष्य संयमी बारह व्रत नित ठाने॥१॥ चक्की उखरी चूलि बुहारी पानी त्रस न विराधे। बनिज करै परद्रव्य हरे नहिं छहों करम इमि साधे॥ पूजा शा गुरुन की सेवा संयम तप चहु दानी। पर-उपकारी अल्प-अहारी सामायिक-विधि ज्ञानी॥२॥ जाप जपै तिहूँ योग धरै दृढ़ तन की ममता टारै। अन्त समय वैराग्य सम्हारै ध्यान समाधि विचारै॥ आग लगै अरु नाव डुबै जब धर्म वि

Navgrah Shanti Stotra Sanskrit | नवग्रह शांति स्तोत्र

Navgrah Shanti Stotra | Navgrah Shanti Navgrah Stotra, Navgrah Shanti Stotra (नवग्रह शांति स्तोत्र) Jain written by Aacharya Shri Bhadrabahu Swami full lyrics in Sanskrit is available here. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community  If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   Navgrah Shanti Stotra | नवग्रह शांति स्तोत्र  Navgrah Shanti Stotra Sanskrit (नवग्रह शांति स्तोत्र) full in Hindi by Aacharya Shri Bhadrabahu Swami is as given below - आचार्य भद्रबाहु स्वामी जगद्गुरुं नमस्कृत्यं, श्रुत्वा सद्गुरुभाषितम् | ग्रहशांतिं प्रवचयामि, लोकानां सुखहेतवे || जिनेन्द्रा: खेचरा ज्ञेया, पूजनीया विधिक्रमात् | पुष्पै- र्विलेपनै – र्धूपै – र्नैवेद्यैस्तुष्टि – हेतवे || पद्मप्रभस्य मार्तण्डश्चंद्रश्चंद्रप्रभस्य च | वासुपूज्यस्य भूपुत्रो, बुधश्चाष्टजिनेशिनाम् || विमलानंत धर्मेश, शांति-कुंथु-अरह-नमि | वर्द्धमानजिनेन्द्राणां, पादपद्मं बुधो नमेत् || ऋषभाजितसुपाश्र्वा: साभिनंदनशीतलौ |

Samadhi Bhavna - Teri Chatra Chaya Bhagwan (तेरी छत्रच्छाया भगवन्) | Samadhi Maran

Samadhi Maran Path | Teri Chatra Chaya Bhagwan | Samadhi Bhavna Samadhi Maran, Samadhi Maran Path (समाधि मरण पाठ), Teri Chatra Chaya Bhagwan ( तेरी छत्रच्छाया भगवन्)  full lyrics in Hindi is available here. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community  If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   Samadhi Bhavna | Teri Chatra Chaya Bhagwan  Teri Chatra Chaya Bhagwan - Samadhi Maran, Samadhi Bhavna Lyrics in Hindi is as given below - तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥ जिनवाणी रसपान करूँ मैं, जिनवर को ध्याऊँ। आर्यजनों की संगति पाऊँ, व्रत-संयम चाहू ॥ गुणीजनों के सद्गुण गाऊँ, जिनवर यह वर दो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥ १॥ तेरी छत्रच्छाया भगवन्! मेरे शिर पर हो। मेरा अन्तिम मरणसमाधि, तेरे दर पर हो॥ परनिन्दा न मुँह से निकले, मधुर वचन बोलूँ। हृदय तराजू पर हितकारी, सम्भाषण तौलूँ॥ आत्म-तत्त्व की रहे भावना, भाव विमल भर दो। मेरा अन्त

Shantidhara Mantra | शांतीधारा मंत्र | शांतिधारा अभिषेक

Laghu Shantidhara | Shantidhara Mantra | Shantidhara Path Jain Shantidhara Mantra or Laghu Shantidhara Mantra full lyrics in Hindi for Shantidhara Abhishek. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community.  If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   Shantidhara Mantra | शांतिधारा अभिषेक  Shantidhara Mantra full in Hindi is as given below - ||लघुशांतिधारा || ॐ नमः सिद्धेभ्यः ! ॐ नमः सिद्धेभ्यः ! ॐ नमः सिद्धेभ्यः ! श्री वीतरागाय नमः ! ॐ नमो अर्हते भगवते श्रीमते, श्री पार्श्वतीर्थंकराय, द्वादश-गण-परिवेष्टिताय, शुक्लध्यान पवित्राय,सर्वज्ञाय, स्वयंभुवे, सिद्धाय, बुद्धाय, परमात्मने, परमसुखाय, त्रैलोकमाही व्यप्ताय, अनंत-संसार-चक्र-परिमर्दनाय, अनंत दर्शनाय, अनंत ज्ञानाय, अनंतवीर्याय, अनंत सुखाय सिद्धाय, बुद्धाय, त्रिलोकवशंकराय, सत्यज्ञानाय, सत्यब्राह्मने, धरणेन्द्र फणामंडल मन्डिताय, ऋषि- आर्यिका,श्रावक-श्राविका-प्रमुख-चतुर्संघ-उपसर्ग विनाशनाय, घाती कर्म विनाशनाय, अघातीकर्म विन

भक्तामर महिमा | Bhaktamar Mahima Lyrics

Bhaktamar Path | Bhaktamar Mahima | भक्तामर महिमा  Bhaktamar Mahima or Bhaktamar Path full lyrics in Hindi is available here. Bhaktamar Mahima | Bhaktamar Path  श्री भक्तामर का पाठ, करो नित प्रात, भक्ति मन लाई। सब संकट जाएँ नशाई॥ जो ज्ञान-मान-मतवारे थे, मुनि मानतुंग से हारे थे। उन चतुराई से नृपति लिया, बहकाई॥ सब संकट...॥1॥ मुनिजी को नृपति बुलाया था, सैनिक जा हुक्म सुनाया था। मुनि वीतराग को आज्ञा नहीं सुहाई॥ सब संकट...॥2॥ उपसर्ग घोर तब आया था, बलपूर्वक पकड़ मँगाया था। हथकड़ी बेड़ियों से तन दिया बंधाई॥ सब संकट...॥3॥ मुनि काराग्रह भिजवाए थे, अड़तालिस ताले लगाए थे। क्रोधित नृप बाहर पहरा दिया बिठा॥ सब संकट...॥4॥ मुनि शांतभाव अपनाया था, श्री आदिनाथ को ध्याया था। हो ध्यान-मग्न भक्तामर दिया बनाई॥सब संकट...॥5॥ सब बंधन टूट गए मुनि के, ताले सब स्वयं खुले उनके। काराग्रह से आ बाहर दिए दिखाई॥ सब संकट...॥7॥ जो पाठ भक्ति से करता है, नित ऋषभ-चरण चित धरता है। जो ऋद्धि-मंत्र का विधिवत जाप कराई॥ सब संकट...॥8॥ भय विघ्न उपद्रव टलते हैं विपदा के दिवस बदलते हैं। सब मन वांछित हों पूर्ण, शा

Mangalashtak Jain | Mangalashtak Jain Stotra | मंगलाष्टक जैन

Mangalashtak Jain | मंगलाष्टक जैन | Mangalashtak Jain Lyrics  Here is Jain Mangalashtak Stotra Lyrics in Sanskrit with its Meaning. Mangalashtak Jain Stotra  अर्हन्तो भगवत इन्द्रमहिताः, सिद्धाश्च सिद्धीश्वरा, आचार्याः जिनशासनोन्नतिकराः, पूज्या उपाध्यायकाः श्रीसिद्धान्तसुपाठकाः, मुनिवरा रत्नत्रयाराधकाः, पञ्चैते परमेष्ठिनः प्रतिदिनं, कुर्वन्तु नः मंगलम्   ||1|| श्रीमन्नम्र – सुरासुरेन्द्र – मुकुट – प्रद्योत – रत्नप्रभा- भास्वत्पादनखेन्दवः प्रवचनाम्भोधीन्दवः स्थायिनः ये सर्वे जिन-सिद्ध-सूर्यनुगतास्ते पाठकाः साधवः स्तुत्या योगीजनैश्च पञ्चगुरवः कुर्वन्तु नः मंगलम् ||2|| सम्यग्दर्शन-बोध-व्रत्तममलं, रत्नत्रयं पावनं, मुक्ति श्रीनगराधिनाथ – जिनपत्युक्तोऽपवर्गप्रदः धर्म सूक्तिसुधा च चैत्यमखिलं, चैत्यालयं श्रयालयं, प्रोक्तं च त्रिविधं चतुर्विधममी, कुर्वन्तु नः मंगलम् ||3|| नाभेयादिजिनाः प्रशस्त-वदनाः ख्याताश्चतुर्विंशतिः, श्रीमन्तो भरतेश्वर-प्रभृतयो ये चक्रिणो द्वादश ये विष्णु-प्रतिविष्णु-लांगलधराः सप्तोत्तराविंशतिः, त्रैकाल्ये प्रथितास्त्रिषष्टि-पुरुषाः कुर्वन्तु नः मंगलम् ||4

भक्तामर स्तोत्र (हिन्दी) | Bhaktamar Stotra Lyrics Hindi

Bhaktamar Hindi Lyrics | Bhaktamar Stotra Lyrics Hindi  Bhaktamar Stotra full in Hindi or Bhaktamar Stotra in Hindi meaning lyrics is fully available here. भक्तामर स्तोत्र हिन्दी भक्त अमर नत मुकुट सु-मणियों, की सु-प्रभा का जो भासक। पाप रूप अति सघन तिमिर का, ज्ञान-दिवाकर-सा नाशक॥ भव-जल पतित जनों को जिसने, दिया आदि में अवलंबन। उनके चरण-कमल को करते, सम्यक बारम्बार नमन ॥१॥ सकल वाङ्मय तत्वबोध से, उद्भव पटुतर धी-धारी। उसी इंद्र की स्तुति से है, वंदित जग-जन मन-हारी॥ अति आश्चर्य की स्तुति करता, उसी प्रथम जिनस्वामी की। जगनामी सुखधामी तद्भव, शिवगामी अभिरामी की ॥२॥ स्तुति को तैयार हुआ हूँ, मैं निर्बुद्धि छोड़ि के लाज। विज्ञजनों से अर्चित है प्रभु! मंदबुद्धि की रखना लाज॥ जल में पड़े चंद्र मंडल को, बालक बिना कौन मतिमान। सहसा उसे पकड़ने वाली, प्रबलेच्छा करता गतिमान ॥३॥ हे जिन! चंद्रकांत से बढ़कर, तव गुण विपुल अमल अति श्वेत। कह न सके नर हे गुण के सागर! सुरगुरु के सम बुद्धि समेत॥ मक्र, नक्र चक्रादि जंतु युत, प्रलय पवन से बढ़ा अपार। कौन भुजाओं से समुद्र के, हो सकता है परले पार ॥४॥ व

Saraswati Stotra | सरस्वती स्तोत्र | Saraswati Stotra in Marathi

Saraswati Stotra in Marathi | Saraswati Stotram Saraswati Stotram in Marathi or Saraswati Stotram is available here  सरस्वती स्तोत्र मराठी सरस्वत्या: प्रसादेन, काव्यं कुर्वन्ति मानवा:। तस्मान्निश्चलभावेन, पूजनीया सरस्वती॥ 1॥ श्रीसर्वज्ञ-मुखोत्पन्ना, भारती बहुभाषिणी। अज्ञानतिमिरं हन्ति, विद्या बहुविकासनी॥ 2॥ सरस्वती मया दृष्टा, दिव्या कमललोचना। हंसस्कन्धसमारूढ़ा,वीणा-पुस्तकधारिणी॥ 3॥ प्रथमं भारती नाम, द्वितीयं च सरस्वती। तृतीयं शारदा देवी, चतुर्थं हंसगामिनी॥ 4॥ पंचमं विदुषां माता, षष्ठं वागीश्वरि तथा। कुमारी सप्तमं प्रोक्तं,अष्टमं ब्रह्मचारिणी॥ 5॥ नवमं च जगन्माता, दशमं ब्राह्मिणी तथा। एकादशं तु ब्रह्माणी, द्वादशं वरदा भवेत्॥ 6॥ वाणी त्रयोदशं नाम, भाषाचैव चतुर्दशं। पंचदशं च श्रुतदेवी, षोडशं गौर्निगद्यते॥ 7॥ एतानि श्रुतनामानि, प्रातरुत्थाय य: पठेत्। तस्य संतुष्यति माता, शारदा वरदा भवेत्॥ 8॥ सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी। विद्यारम्भं करिष्यामि, सिद्धिर्भवतु मे सदा॥ 9॥ If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simpl