Kshetrapal Chalisa | क्षेत्रपाल चालीसा | Kshetrapal Chalisa Lyrics | Kshetrapal Chalisa in Hindi
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Kshetrapal Bhairav baba chalisa in hindi |
Kshetrapal Baba chalisa( क्षेत्रपाल चालीसा ) lyrics in Hindi is as given below -
( श्री क्षेत्रपाल चालीसा प्रारंभ )
दोहा -
क्षेत्रपाल महाराज को, मन मंदिर में ध्याय |
लिखने का साहस करूं, चालीसा सुखदाय ||१||
विघ्नहरण मंगलकरण, क्षेत्रपाल महाराज |
करूं भक्ति श्रद्धा सहित, पूर्ण करो सब काज ||२||
चौपाई -
जैनधर्म प्राकृतिक कहाया,ग्रन्थ पुराण में है बतलाया ||१||
उसमें वर्णित कई वाक्य हैं,तीर्थंकर प्रभु वचन सार्थ हैं ||२||
हुए पूज्य आचार्य हमारे,उन वचनों को मन में धारें ||३||
पुनः प्राणि हित बतलाया है,जिसने उसको अपनाया है ||४||
वह समयग्दृष्टी कहलाया,ऊर्ध्वगती को उसने पाया ||५||
पूज्यपाद आचार्य एक हैं,कई ग्रन्थ रचनाएं की हैं ||६||
उनने हम सबको बतलाया,पंचामृत अभिषेक बताया ||७||
और बताया एक वाक्य है,शासन देवी देव मान्य हैं ||८||
सब सम्यग्द्रष्टी कहलाए,जिनशासन रक्षक बतलाए ||९||
उनके वचनों पे श्रद्धा कर,करें विराजित मंदिर अंदर ||१०||
जिनवर सम नहिं पूज्य किन्तु ये,आदर करने योग्य कहे हैं ||११||
जो माने नहिं मिथ्याद्रष्टी,भक्त पे करें कृपा की वृष्टी ||१२||
उनमें क्षेत्रपाल जगनामी,हर शुभ कार्य में पूजा मानी ||१३||
उनका आव्हानन करते हैं,सब निर्विघ्न कार्य होते हैं ||१४||
राजस्थान में जिला करौली,ग्राम डाबरा कथा अनोखी ||१५||
क्षेत्रपाल बाबा का मंदिर,मेला हो भादों सुदि नवमी ||१६||
सहस वर्ष पहले की घटना,पराड्या वंशज द्वारा बनना ||१७||
मनोकामनापूरक बाबा,हरते भूत प्रेत की बाधा ||१८||
संकट सारे पल में नाशें,विघ्न नाम जपने से भागें ||१९||
सकल सौख्य के पूरक दाता,धन सम्पति सौभाग्य प्रदाता ||२०||
परम कृपाला, दीनदयाला,हर मंदिर में इनका आला ||२१||
देव,शास्त्र,गुरु आयतनों की,रक्षा में तत्पर रक्षक जी ||२२||
भारत में कई एक तीर्थ हैं,जहां विराजे बाबाजी हैं ||२३||
बड़ी मान्यता कई जगह है,करते सब तैलाभिषेक हैं ||२४||
क्षेत्रपाल की अर्चा करते,सब मनवान्छा पूरी करते ||२५||
शाश्वत श्री सम्मेदशिखर जी,बड़ी मान्यता है बाबा की ||२६||
अगर मार्ग से कोई भटके,वाहन आकर संकट हर ले ||२७||
मार्ग दिखाता रक्षा करता,भक्त स्वयं मुख से यह कहता ||२८||
यात्रा कठिन मगर पूरी हो,हर्षित मन सब नर-नारी हों ||२९||
पांच नाम इनके बतलाए,विजय वीर मणिभद्र कहाए ||३०||
अपराजित भैरव भी नाम है,उनको शत मेरा प्रणाम है ||३१||
कूकर वाहन कहा आपका,इक कर में तिरशूल शोभता ||३२||
अतदाकार व तदाकार हैं,तदाकार में प्रभु विराजते ||३३||
जम्बूद्वीप हस्तिनापुर में,बाबा राजें जिनमंदिर में ||३४||
भक्त मनौती वहाँ मनाते,सथिया उल्टी वहाँ बनाते ||३५||
मन की इच्छा पूरी होती,आकर वहाँ जलाते ज्योती ||३६||
बना साथिया सीधी फिर से,तेल सिंदूर हैं अर्पण करते ||३७||
रक्षकदेव बड़े अतिशायी,बिगड़ी सबकी खूब बनाई ||३८||
मैं भी द्वार तिहारे आया,सांसारिक दुःख से अकुलाया ||३९||
हे सम्यग्द्रष्टी बाबाजी,मेरे सारे कष्ट हरो जी ||४०||
शंभु छंद -
जिनशासन के रक्षक देवा, संकटहर्ता मंगलहर्ता |
तेरा आराधन अरु सुमिरन, भक्तों की झोली है भरता ||
महिमा तेरी है बहुत सुनी, इसलिए ‘इंदु’ली तुम शरणा |
( समाप्त )
जिनधर्म में श्रद्धा बनी रहे, अंतिम क्षण प्रभू ध्यान मन मा ||१||
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