Skip to main content

गौतम गणधर चालीसा | Jain Gautam Ganadhar Chalisa

गौतम गणधर चालीसा | Gautam Ganadhar Chalisa

Jain Chalisa Shri Gautam Ganadhar Swami (गौतम गणधर) Chalisa full lyrics in Hindi for Jain people. 

On this site we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community. 

If you are interested to read Any of Jain Tirthankar Chalisa then you can simply Click Here then you will be redirect to all Jain Tirthankar Chalisa Page and then you can read any of them. 

गौतम गणधर चालीसा | Jain Gautam Ganadhar Chalisa 

Shri Gautam Ganadhar Chalisa (गौतम गणधर चालीसा) full in Hindi -


(श्री गौतम गणधर चालीसा प्रारंभ)

दोहा -
वंदूँ वीर जिनेन्द्र को, मन वच तन कर शुद्ध।
उनके गणधर शिष्य को, नमूँ हृदय कर शुद्ध।।१।।
श्री गौतम गणधर हुए, गणनायक मुनिराज।
जिनकी वाणी सुन बने, अन्य बहुत मुनिराज।।२।।
उन गणधर भगवान का, चालीसा सुखकार।
है सम्यक् श्रुतज्ञान का, यह भी इक आधार।।३।।

चौपाई -
जय हो वीतराग प्रभु वाणी, वीर दिव्यध्वनि जगकल्याणी।१।।
बने नाथ जब केवलज्ञानी, समवसरण रचना के स्वामी।।२।|
दिव्यध्वनी जब खिरी नहीं थी, इन्द्र के मन तब युक्ति हुई थी।।३।।
सोचा प्रभु को शिष्य चाहिए, गणधर पद के योग्य चाहिए।।४।।
तभी दिव्यध्वनि खिर सकती है, सारी जनता सुन सकती है।।५।।
इन्द्र ने अवधिज्ञान से जाना, एक महाज्ञानी पहचाना।।६।।
सुनो उसी ज्ञानी की गाथा, जो वैâसे सम्यक्त्व है पाता।।७।।
मगध देश में ब्राह्मण नगरी, रहते थे वहाँ इक दम्पत्ती।।८।।
था शाण्डिल्य नाम पण्डित का, स्थंडिला नाम पत्नी का।।९।।
गौतम गाग्र्य पुत्रद्वय जनमे, सर्वकला में पारंगत वे।।१०।।
दूजी भार्या नाम केशरी, वह भार्गव सुत की जननी थी।।११।।
इस प्रकार त्रय पुत्र को पाकर, थे शाण्डिल्य प्रसन्न गुणाकर।।१२।।
इनके तीन नाम थे दूजे, जिनसे तीनों ही प्रसिद्ध थे।।१३।।
इन्द्रभूति गौतम को जानो, गाग्र्य को अग्निभूति तुम मानो।।१४।।
भार्गव वायुभूति कहलाया, तीनों में था मान समाया।।१५।।
पाँच शतक शिष्यों का स्वामी, इन्द्रभूति गौतम जगनामी।।१६।।
उनके पास इन्द्र ने जाकर, पूछा एक प्रश्न का उत्तर।।१७।।
वृद्ध वेषधारी का प्रश्न सुन, बोल पड़े आकस्मिक गौतम।।१८।।
तू मुझको निज गुरू के पास में, ले चल वहीं पर करूँगा वाद मैं।।१९।।
इन्द्र को तो यह इन्तजार था, प्रभु ढिग चलने को तैयार था।।२०।।
चले इन्द्र के साथ में गौतम, अपने पाँच शतक शिष्यों संग।।२१।।
राजगृही विपुलाचल ऊपर, राज रहा था समवसरण प्रभु।।२२।।
वहाँ पहुँचते ही गौतम की, सारी मिथ्याभ्रांति हटी थी।।२३।।
तत्क्षण सम्यग्दर्शन पाया, वीर प्रभू को शीश नमाया।।२४।।
बन गये नग्न दिगम्बर मुनिवर, तत्क्षण बने प्रभू के गणधर।।२५।।
हो गये चार ज्ञान के धारी, जय हे भगवन् स्तुती उचारी।।२६।।
वीर की दिव्यध्वनि तत्क्षण ही, खिर गई गणधर के मिलते ही।।२७।।
इन्द्रभूति गौतम गणधर ने, दिव्यध्वनि हृदयंगम करके।।२८।।
द्वादशांग रच दिया शीघ्र ही, उसका ही है अंश आज भी।।२९।।
श्रावण कृष्णा एकम तिथि थी, गणधर पद धारण की शुभ थी।।३०।।
महावीर शासन का शुभ दिन, कृतयुग का माना है प्रथम दिन।।३१।।
ग्रंथ आज उपलब्ध हैं जो भी, प्रभु वाणी के अंश हैं वो भी।।३२।।
है साक्षात भी गौतम वाणी, सुनो भव्यजन जगकल्याणी।।३३।।
कहें ‘‘सुदं मे आउस्संतो’’, तुम भी धारो आयुष्मन्तों।।३४।।
दश अध्यायों में विभक्त है, ज्ञान प्राप्ति हेतू सशक्त है।।३५।।
गणिनी ज्ञानमती माताजी, गणधरवाणी संग्रहकत्र्री।।३६।।
उनने गणधर वर्ष चलाया, जिन आगम का सार बताया।।३७।।
सभी भव्यजन पढ़ो पढ़ाओ, गणधर वाणी को अपनाओ।।३८।।
गौतम गणधर पूजन कर लो, नाम मंत्र भी उनका जप लो।।३९।।
जय जय बोलो प्रभु पद नम लो, सार्थक मानव जीवन कर लो।।४०।।

शंभु छंद -
यह गौतम गणधर चालीसा, चालिस दिन तक नितप्रति पढ़ना।
हे आयुष्मन्तों ! गणधर की, ऋद्धी का फल सार्थक वरना।।
जीवन में भौतिक एवं आध्यात्मिक सुख की प्राप्ती करना।
फिर परम्परा से गणधर पद को, पाकर शाश्वत सुख भरना।।१।।
गणिनी माता श्री ज्ञानमती, जी की शिष्या चन्दनामती।
श्री गौतमगणधर गणनायक, की स्तुति में यह रची कृती।।
श्री वीर संवत् पच्चीस शतक, आषाढ़ शुक्ल षष्ठी की तिथी।
प्रभु वीर गर्भकल्याणक दिन, गणधर पद अर्पण किया कृती।।२।।
भगवान वीर मंगलमय हों, गौतम गणधर मंगलकारी।
श्री कुन्दकुन्द आचार्य तथा, जिनधर्म सदा मंगलकारी।।
महावीर प्रभू का जिनशासन, जब तक जग में जयशील रहे।
उन शिष्य प्रभू गौतम स्वामी, की वाणी भी जयशील रहे।।३।।

रचयित्री—प्रज्ञाश्रमणी आर्यिका चन्दनामती

(समाप्त)


If you are interested to read Bhaktamar Stotra Lyrics in Sanskrit written by Aacharya Shri Manatunga ji then you can simply Click Here which will redirect you to your desired page very easily.

If you are interested for Jain quotes, jain status and download able jain video status then you can simply Click Here

You can read Barah Bhavna lyrics by simply Clicking Here
You can also read Meri Bhavna Lyrics simply by Clicking Here

Hopefully this Article will be helpful for you. Thank you 

Popular posts from this blog

Chattari Mangalam lyrics | चत्तारि मंगल पाठ | Namokar Mantra

Namokar Mantra | Navkar Mantra | Namokar Mantra Chattari Mangalam Jain Namokar Mantra or Navkar Mantra or Namokar Mahamantra with Chattari Mangalam, Arihant Mangalam. Here we have given it below in Hindi, Prakrit and English Lyrical Languages If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   Chattari Mangalam arihanta mangalam Namokar Mantra Chattari Mangalam full lyrics is as given below -  णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं चत्तारिमंगलम अरिहंत मंगल़, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलीपण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलीपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलीपण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि। Chattari Mangalam lyrics in Hindi  Namokar Mantra Cha...

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti | Kshetrapal Aarti

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi | क्षेत्रपाल बाबा की आरती Here we have provided full Aarti of Shri Kshetrapal Bhairav Baba in Hindi Language for which you are looking for. Kshetrapal baba ki Aarti, Kshetrapal Bhairav Aarti, क्षेत्रपाल बाबा की आरती, Kshetrapal dada ni Aarti all of this search result is Here. क्षेत्रपाल बाबा की आरती, क्षेत्रपाल आरती Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi Lyrics is as given below - करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की । विजयवीर अरु मणिभद्र की, अपराजित भैरव आदि की ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की। ।   शिखर मणिमय मुकुट विराजै, कर में आयुध त्रिशुल जुराजै। कूकर वाहन शोभा भारी, भूत – प्रेत दुष्टन भयकारी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।। लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना । जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शांतिमय कीनी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।।   जिन भक्तन की रक्षा करते, दुःख दारिद्र सभी भय हरते । पुत्रादि वांछा पूरी करते, मनोकामना पूरी करत...