Skip to main content

Shreyansnath Chalisa | Shreyansnath Bhagwan ka Chalisa | श्रेयांसनाथ भगवान

Shreyansnath Chalisa Lyrics | श्रेयांसनाथ भगवान का चालीसा

Here we have provided full lyrics of Jain Chalisa Shri Shreyansnath Prabhu Chalisa in Hindi which has Doha, Chaupai at the main body and Shambhu Chhand at the end of the shri Shreyansnath bhagwan Chalisa. On this site we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community. 

If you are interested for Jain quotes, jain status and download able jain video status then you can simply Click Here

Shreyansnath Chalisa, श्री श्रेयांसनाथ भगवान का चालीसा
Shreyansnath Prabhu Chalisa full lyrics in Hindi is as given below -

( श्री श्रेयांसनाथ चालीसा प्रारंभ )
दोहा -
युग की आदी में हुए, ऋषभदेव भगवान।
उनके चरणों में करूँ, बारम्बार प्रणाम।।१।।
गौतम गणधर देव को, वंदूँ मन-वच-काय।
उनके जैसी ऋद्धियाँ, हमको भी मिल जाएँ।।२।।
शारद माता को नमूँ, जिनसे मिलता ज्ञान।
लिखने की शक्ती मिले, दूर होय अज्ञान।।३।।

चौपाई -
श्री श्रेयांस जगत के स्वामी, कीर्ति तुम्हारी जग में नामी ।।१।।
तुम हो ग्यारहवें तीर्थंकर, तुम हो प्रभु जग में श्रेयस्कर ।।२।।
जो करते हैं भक्ति तुम्हारी, इच्छा पूरी होती सारी ।।३।।
जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में, सिंहपुरी नामक नगरी है ।।४।।
वहाँ के राजा विष्णुमित्र थे, वे इक्ष्वाकुवंशि उत्तम थे ।।५।।
वे रानी नंदा के संग में, सुख-वैभव में पूर्ण मगन थे ।।६।।
इक दिन महारानी रात्री में, नित्य की भांती सोई हुई थी ।।७।।
रत्न पलंग पर सोते-सोते, रात्री के आखिरी प्रहर में ।।८।।
महारानी ने सपने देखे, वे पूरे सोलह स्वप्ने थे ।।९।।
उन स्वप्नों के नाम सुनो तुम, यदि संभव हो याद करो तुम ।।१०।।
ऐरावत गज प्रथम स्वप्न में, देखा था जिनवरजननी ने ।।११।।
दूजे में इक वृषभ दिखा था, सिंह तीसरे स्वप्न में देखा ।।१२।।
चौथे स्वप्न में देखी लक्ष्मी, जिनका न्हवन करें दो हाथी ।।१३।।
पंचम में दो मालाएँ थीं, छठे स्वप्न में पूर्ण चन्द्र भी ।।१४।।
उगता हुआ सूर्य फिर देखा, आगे मीन-युगल देखा था ।।१५।।
फिर आगे नवमें सपने में, जल से भरे कलश दो देखे ।।१६।।
कमलों से युत सरवर देखा, यह था दशवाँ स्वप्न मात का ।।१७ं।
आगे ग्यारहवें सपने में, इक समुद्र देखा माता ने ।।१८।।
बारहवें में सिंहासन था, जो रत्नों से जटित अनूठा ।।१९।।
तेरहवें में इक विमान को, देखा आते हुए स्वर्ग से ।।२०।।
पुन: स्वप्न चौदहवाँ देखा, जिसमें इक नागेन्द्र भवन था ।।२१।।
पन्द्रहवें सपने में माँ ने, रत्नों की राशी देखी थी ।।२२।।
अन्तिम सोलहवें सपने में, धुएँ रहित अग्नी देखी थी ।।२३।।
इन स्वप्नों को देख चुकीं जब, माँ की निद्रा भंग हुई तब ।।२४।।
वो तो अतिशय आनन्दित थीं, उत्तर सुनने को आतुर थीं ।।२५।।
प्रात: रानी राजमहल में, पहुँच गर्इं पतिदेव निकट में ।।२६।।
स्वप्नों का फल पूछा पति से, उनने कहा देवि! तुम सुन लो ।।२७।।
बनोगी तुम तीर्थंकर जननी, तुम हो बहुत ही पुण्यशालिनी ।।२८।।
वह दिन ज्येष्ठ कृष्ण षष्ठी का, गर्भकल्याणक प्रभु श्रेयांस का ।।२९।।
पुन: सुनंदा माता ने तब, फाल्गुन कृष्ण एकादशि के दिन ।।३०।।
त्रिभुवनगुरु को जन्म दिया था, तीन ज्ञानधारी वह सुत था ।।३१।।
धीरे-धीरे युवा हुए जब, राज्यकार्य में लिप्त हुए तब ।।३२।।
एक बार श्रेयांसनाथ प्रभु, ऋतु बसंत का परिवर्तन लख ।।३३।।
वैरागी हो सब कुछ छोड़ा, त्यागमार्ग से नाता जोड़ा ।।३४।।
दीक्षा लेकर करी तपस्या, पुन: नशे जब कर्म घातिया ।।३५।।
तब वे केवलज्ञानी हो गए, घट-घट अन्तर्यामी हो गए ।।३६।।
पुन: धर्मवर्षा के द्वारा, भव्य असंख्यों को था तारा ।।३७।।
श्री श्रेयांसनाथ प्रभुवर के, चरणों में मेरा वन्दन है ।।३८।।
प्रभु मेरा वन्दन स्वीकारो, भवसागर से पार उतारो ।।३९।।
अब जग में भ्रमने की इच्छा, पूरी हो गई कहे ‘‘सारिका’’ ।।४०।।

शंभु छंद -
श्री श्रेयांसनाथ का चालीसा, पढ़ना तुम भक्ती से।
दो बार नहीं, दस बार नहीं, चालीस बार पढ़ना इसको।।
यदि चालिस दिन तक पढ़ लोगे, तो जीवन मंगलमय होगा।
यह लालच नहीं है भव्यात्मन्! वास्तव में ऐसा ही होगा।।१।।
इस सदी बीसवीं में इक गणिनी ज्ञानमती माताजी हैं।
उनकी शिष्या ‘मर्यादा-शिष्योत्तमा’’ चन्दनामति जी हैं।।
जब मिली प्रेरणा उनकी तब ही, लिखा ये चालीसा मैंने।
इसको पढ़कर सब कार्योें की, सिद्धी होगी यह निश्चित है।।२।।
( समाप्त )
If you want to read All Jain Tirthankar Chalisa then you can simply Click Here which will redirect you to all Jain Tirthankar Chalisa Page.
You can read Barah Bhavna lyrics by simply Clicking Here
You can also read Meri Bhavna Lyrics simply by Clicking Here

Hopefully this Article will be helpful for you. Thank you 

Popular posts from this blog

Padmavati Chalisa | पद्मावती चालीसा

Padmavati Chalisa | Padmavati Chalisa Lyrics | पद्मावती चालीसा जैन Here we have provided full lyrics of Jain Chalisa - Padmavati Mata Chalisa, Padmavati Chalisa (पद्मावती चालीसा) in Hindi language to read and share. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community such as Aarti, Jain stavan, Jain Bhajan, Jain stuti, jain stavan lyrics, jain HD wallpapers and much more. If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   If you are interested to read Any of Jain Tirthankar Chalisa then you can simply  Click Here  then you will be redirect to all Jain Tirthankar Chalisa Page and then you can read any of them. Padmavati Chalisa | पद्मावती चालीसा Padmavati Chalisa ( पद्मावती चालीसा ) full lyrics in Hindi - ( पद्मावती माता चालीसा प्रारंभ ) दोहा - पार्श्वनाथ भगवान को मन मंदिर में ध्याय | लिखने का साहस करूं चालीसा सुखदाय ||!|| उन प्रभुवर श्री पार्श्व की, यक्षी मात महान | पद्मावति जी नाम है, सर्व गुणो

Kshetrapal Chalisa | क्षेत्रपाल चालीसा | Kshetrapal Bhairav Chalisa | Kshetrapal Chalisa Lyrics

Kshetrapal Chalisa | क्षेत्रपाल चालीसा | Kshetrapal Chalisa Lyrics | Kshetrapal Chalisa in Hindi   Here we have provided full lyrics of Shri Kshetrapal Bhairav Chalisa ( क्षेत्रपाल चालीसा ) in Hindi Language. Here we upload all type of Jainism related Content and Information such as Jain stavan, jain status, jain stuti, jain lyrics for Jain Community.  Kshetrapal Bhairav baba chalisa in hindi  Kshetrapal Baba chalisa( क्षेत्रपाल चालीसा ) lyrics in Hindi is as given below - ( श्री क्षेत्रपाल चालीसा प्रारंभ ) दोहा - क्षेत्रपाल महाराज को, मन मंदिर में ध्याय | लिखने का साहस करूं, चालीसा सुखदाय ||१|| विघ्नहरण मंगलकरण, क्षेत्रपाल महाराज | करूं भक्ति श्रद्धा सहित, पूर्ण करो सब काज ||२|| चौपाई - जैनधर्म प्राकृतिक कहाया,ग्रन्थ पुराण में है बतलाया ||१|| उसमें वर्णित कई वाक्य हैं,तीर्थंकर प्रभु वचन सार्थ हैं ||२|| हुए पूज्य आचार्य हमारे,उन वचनों को मन में धारें ||३|| पुनः प्राणि हित बतलाया है,जिसने उसको अपनाया है ||४|| वह समयग्दृष्टी कहलाया,ऊर्ध्वगती को उसने पाया ||५|| पूज्यपाद आचार्य एक हैं,क

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti | Kshetrapal Aarti

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi | क्षेत्रपाल बाबा की आरती Here we have provided full Aarti of Shri Kshetrapal Bhairav Baba in Hindi Language for which you are looking for. Kshetrapal baba ki Aarti, Kshetrapal Bhairav Aarti, क्षेत्रपाल बाबा की आरती, Kshetrapal dada ni Aarti all of this search result is Here. क्षेत्रपाल बाबा की आरती, क्षेत्रपाल आरती Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi Lyrics is as given below - करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की । विजयवीर अरु मणिभद्र की, अपराजित भैरव आदि की ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की। ।   शिखर मणिमय मुकुट विराजै, कर में आयुध त्रिशुल जुराजै। कूकर वाहन शोभा भारी, भूत – प्रेत दुष्टन भयकारी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।। लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना । जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शांतिमय कीनी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।।   जिन भक्तन की रक्षा करते, दुःख दारिद्र सभी भय हरते । पुत्रादि वांछा पूरी करते, मनोकामना पूरी करते ।। करूं