Sumatinath Chalisa Lyrics | सुमतिनाथ चालीसा | Sumatinath Chalisa
Here we have provided full Bhagwan Sumatinath Chalisa Lyrics in Hindi for all jain community. On our site we are providing all jainism related content and information.
If you want to read All Jain Tirthankar Chalisa then you can simply Click Here which will redirect you to all Jain Tirthankar Chalisa Page.
Sumatinath Chalisa, सुमतिनाथ चालीसा |
( सुमतिनाथ चालीसा प्रारंभ )
श्री सुमति नाथ करुना निर्झर, भव्य जानो तक पहुचे झर झर ।
नयनो में प्रभु की छवि भर कर, नित चालीसा पढ़े सब घर घर ।।
जय श्री सुमति नाथ भगवान्, सबको दो सदबुद्धि दान ।
अयोध्या नगरी कल्याणी, मेघरथ राजा मंगला रानी ।।
दोनों के अति पुण्य प्रजारे, जो तीर्थंकर सूत अवतारे ।
शुक्ल चैत्र एकादशी आई, प्रभु जन्म की बेला आई ।।
तीनो लोको में आनंद छाया, नाराकियो ने दुःख भुलाया ।
मेरु पर प्रभु को ले जाकर, देव न्वहन करते हर्षाकर ।।
तप्त स्वर्ण सम सोहे प्रभु तन, प्रगटा अंग प्रत्यंग में यौवन ।
ब्याही सुन्दर वधुएँ योग, नाना सुखो का करते भोग ।।
राज्य किया प्रभु ने सुव्यवस्थित, नहीं रहा कोई शत्रु उपस्थित ।
हुआ एकदिन वैराग्य सब, नीरस लगाने लगे भोग सब ।।
जिनवर करते आत्म चिंतन, लौकंतिक करते अनुमोदन ।
गए सहेतुक नामक वन में, दीक्षा ली मध्याह्न समय में ।।
बैसाख शुक्ल नवमी का शुभ दिन, प्रभु ने किया उपवास तीन दिन ।
हुआ सौमनस नगर विहार, ध्युमनध्युती ने दिया आहार ।।
बीस वर्ष तक किया तब घोर, आलोकित हुए लोकालोक ।
एकादशी चैत्र की शुक्ल, धन्य हुई केवल रवि निकला ।।
समोशरण में प्रभु विराजे, द्वादश कोठे सुन्दर साझे ।
दिव्या ध्वनि खीरी धरा पर, अनहद नाद हुआ नभ ऊपर ।।
किया व्याख्यान सप्त तत्वों का, दिया द्रष्टान्त देह नौका का ।
जीव अजीव आश्रव बांध, संवर से निर्झरा निर्बन्ध ।।
बंध रहीत होते हैं सिद्ध, हैं यह बात जगत प्रसिद्ध ।
नौका सम जानो निज देह, नाविक जिसमे आत्म विदेह ।।
नौका तिरती ज्यो उदधि में, चेतन फिरता भावोदधि में।
हो जाता यदि छिद्र नाव में, पानी आ जाता प्रवाह में ।।
ऐसे ही आश्रव पुद्गल में, तीन योग से हो प्रतिपल में ।
भरती है नौका ज्यों जल से, बंधती आत्मा पुण्य पाप से ।।
छिद्र बंद करना है संवर, छोड़ शुभा शुभ शुद्धभाव भर ।
जैसे जल को बाहर निकाले, संयम से निर्जरा को पालें ।।
नौका सूखे ज्यो गर्मी से, जीव मुक्त हो ध्यानाग्नि से ।
ऐसा जानकर करो प्रयास, शाश्वत शुख पाओ सायास ।।
जहाँ जीवों का पुण्य प्रबल था, होता वही विहार स्वयं था ।
उम्र रही जब एक ही मास, गिरी सम्मेद पर किया निवास ।।
शुक्ल ध्यान से किया कर्मक्षय, संध्या समय पाया पद अक्षय ।
चैत्र सुदी एकादशी सुन्दर, पहुँच गए प्रभु मुक्ति मंदिर ।।
चिन्ह प्रभु का चकवा जान, अविचल कूट पूजे शुभथान ।।
इस असार संसार में, सार नहीं हैं शेष ।
अरुणा चालीसा पढो, रहे विषाद न लेश ।।
( समाप्त )
If you want to read Shri Bhaktamar stotra lyrics in Sanskrit then you can simply Click Here.
If you are interested to read Meri Bhavna Lyrics then you can simply Click Here.
If you want to read Shri Adinath Chalisa Lyrics then you can simply Click Here.
Sumatinath Chalisa Lyrics |