Skip to main content

Ajitnath Bhagwan Chalisa | अजितनाथ चालीसा | Ajitnath Chalisa

Ajitnath Chalisa | अजितनाथ भगवान की चालीसा | Ajitnath Bhagwan Chalisa 

Here we have provided full lyrics of Jain Chalisa Shri (अजितनाथ ) Ajitnath Bhagwan Chalisa in Hindi language to read and share. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community such as Aarti, Jain stavan, Jain Bhajan, Jain stuti, jain stavan lyrics, jain HD wallpapers and much more. 

If you want to read All Jain Tirthankar Chalisa then you can simply Click Here which will redirect you to all Jain Tirthankar Chalisa Page.

अजितनाथ भगवान चालीसा

Ajitnath Bhagwan Chalisa full lyrics in Hindi is as given below -

( श्री अजितनाथ जिनराज की चालीसा प्रारंभ )

दोहा -
अष्टकर्म को नाशकर, बने सिद्ध भगवान।
उनके चरणों में करूँ, शत-शत बार प्रणाम।।१।।
पुन: सरस्वति मात को, ज्ञानप्राप्ति के हेतु।
नमन करूँ सिर नाय के, श्रद्धा भक्ति समेत।।२।।
अजितनाथ भगवान ने, जीते विषय-कषाय।
उनकी गुणगाथा कहूँ, पद अजेय मिल जाय।।३।।


चौपाई -
जीत लिया इन्द्रिय विषयों को, नमन करूँ उन अजितप्रभू को।।१।।
गर्भ में आने के छह महिने, पहले से ही रत्न बरसते।।२।।
श्री-ह्री आदि देवियाँ आतीं, सेवा करतीं जिनमाता की।।३।।
तीर्थ अयोध्या की महारानी, माता विजया धन्य कहाई।।४।।
उनने देखे सोलह सपने, ज्येष्ठ कृष्ण मावस की तिथि में।।५।।
प्रात: पति श्री जितशत्रू से, उन स्वप्नों के फल पूछे थे।।६।।
वे बोले-तुम त्रिभुवनपति की, जननी होकर पूज्य बनोगी।।७।।
माता विजया अति प्रसन्न थीं, जीवन सार्थक समझ रही थीं।।८।।
नौ महिने के बाद भव्यजन! माघ शुक्ल दशमी तिथि उत्तम।।९।।
अजितनाथ तीर्थंकर जन्मे, स्वर्ण सदृश वे चमक रहे थे।।१०।।
प्रभु के लिए वस्त्र-आभूषण, स्वर्ग से ही आते हैं प्रतिदिन।।११।।
भोजन भी स्वर्गों से आता, इन्द्र सदा सेवा में रहता।।१२।।
प्रभु अनेक सुख भोग रहे थे, राज्यकार्य को देख रहे थे।।१३।।
इक दिन उल्कापात देखकर, हो गए वैरागी वे प्रभुवर।।१४।।
वह तिथि माघ शुक्ल नवमी थी, नम: सिद्ध कह दीक्षा ले ली।।१५।।
इक हजार राजा भी संग में, नग्न दिगम्बर मुनी बन गए।।१६।।
वे मुनि घोर तपस्या करते, जंगल-पर्वत-वन-उपवन में।।१७।।
दीक्षा के पश्चात् सुनो तुम, मौन ही रहते तीर्थंकर प्रभु।।१८।।
दिव्यध्वनि में खिरती वाणी, जो जन-जन की है कल्याणी।।१९।।
अजितनाथ तीर्थंकर प्रभु जी, शुद्धात्मा में पूर्ण लीन थे।।२०।।
ध्यान अग्नि के द्वारा तब ही, जला दिया कर्मों को झट ही।।२१।।
पौष शुक्ल ग्यारस तिथि आई, प्रभु ने ज्ञानज्योति प्रगटाई।।२२।।
उस आनन्द का क्या ही कहना, जहाँ नष्ट हैं कर्मघातिया।।२३।।
वे प्रभु अन्तर्यामी बन गए, ज्ञानानन्द स्वभावी हो गए।।२४।।
धर्मामृत वर्षा के द्वारा, प्रभु ने किया जगत उद्धारा।।२५।।
बहुत काल तक समवसरण में, भव्यों को सम्बोधित करते।।२६।।
पुन: चैत्र शुक्ला पंचमि को, प्रभु ने पाया पंचमगति को।।२७।।
पंचकल्याणक के स्वामी वे, पंचभ्रमण से छूट गए अब।।२८।।
हाथी चिन्ह सहित प्रभुवर की, ऊँचाई अठरह सौ कर है।।२९।।
इन प्रभुवर को हम नित वंदें, पाप नष्ट हो जाएँ जिससे।।३०।।
अजितनाथ की टोंक अयोध्या में निर्मित है मंदिर भैया!।।३१।।
उसमें प्रतिमा अति मनहारी, शोभ रही हैं प्यारी-प्यारी।।३२।।
गणिनी ज्ञानमती माता की, प्रबल प्रेरणा प्राप्त हुई है।।३३।।
वर्षों से इच्छा थी उनकी, इच्छा पूरी हुई मात की।।३४।।
अजितनाथ तीर्थंकर प्रभु की, जितनी भक्ति करें कम ही है।।३५।।
हे प्रभु! मुझको ऐसा वर दो, तन में कोई रोग नहीं हो।।३६।।
क्योंकी नीरोगी तन से ही, अधिक साधना हो संयम की।।३७।।
संयम इक अनमोल रतन है, मिलता है बहुतेक जतन से।।३८।।
इससे कभी न डरना तुम भी, इसको धारण करना इक दिन।।३९।।
यही भाव निशदिन करने से, तिरें ‘‘सारिका’’ भवसमुद्र से।।४०।।


शंभु छंद -
जो अजितनाथ तीर्थंकर का, चालीसा चालिस बार पढ़ें।
वे हर कार्यों में सदा-सदा ही, शीघ्र विजयश्री प्राप्त करें।।
चारित्रचन्द्रिका गणिनी ज्ञानमती माता की शिष्या हैं।
प्रज्ञाश्रमणी चन्दनामती माता की मिली प्रेरणा है।।१।।
यद्यपि अति अल्पबुद्धि फिर भी, गुरु आज्ञा शिरोधार्य करके।
लिख दिया समझ में जो आया, विद्वज्जन् त्रुटि सुधार कर लें।।
इस चालीसा को पढ़ने से, इक दिन कर्मों को जीत सकें।
शाश्वत सुख की हो प्राप्ती, भव्यों को ऐसा पुण्य मिले।।२।।

( समाप्त )

If you are interested for Jain quotes, jain status and download able jain video status then you can simply Click Here

You can read Barah Bhavna lyrics by simply Clicking Here
You can also read Meri Bhavna Lyrics simply by Clicking Here

Hopefully this Article will be helpful for you. Thank you 

Popular posts from this blog

Chattari Mangalam lyrics | चत्तारि मंगल पाठ | Namokar Mantra

Namokar Mantra | Navkar Mantra | Namokar Mantra Chattari Mangalam Jain Namokar Mantra or Navkar Mantra or Namokar Mahamantra with Chattari Mangalam, Arihant Mangalam. Here we have given it below in Hindi, Prakrit and English Lyrical Languages If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   Chattari Mangalam arihanta mangalam Namokar Mantra Chattari Mangalam full lyrics is as given below -  णमो अरिहंताणं णमो सिद्धाणं णमो आयरियाणं णमो उवज्झायाणं णमो लोए सव्व साहूणं एसोपंचणमोक्कारो, सव्वपावप्पणासणो मंगला णं च सव्वेसिं, पडमम हवई मंगलं चत्तारिमंगलम अरिहंत मंगल़, सिद्ध मंगलं, साहु मंगलं, केवलीपण्णत्तो धम्मो मंगलं। चत्तारि लोगुत्तमा अरिहंत लोगुत्तमा, सिद्ध लोगुत्तमा, साहु लोगुत्तमा, केवलीपण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमा। चत्तारि सरणं पव्वज्जामि अरिहंत सरणं पव्वज्जामि, सिद्ध सरणं पव्वज्जामि, साहु सरणं पव्वज्जामि, केवलीपण्णत्तो धम्मो सरणं पव्वज्जामि। Chattari Mangalam lyrics in Hindi  Namokar Mantra Cha...

गौतम गणधर चालीसा | Jain Gautam Ganadhar Chalisa

गौतम गणधर चालीसा |  Gautam Ganadhar Chalisa Jain Chalisa Shri Gautam Ganadhar Swami (गौतम गणधर) Chalisa full lyrics in Hindi for Jain people.  On this site we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community.  If you are interested to read Any of Jain Tirthankar Chalisa then you can simply  Click Here  then you will be redirect to all Jain Tirthankar Chalisa Page and then you can read any of them.  गौतम गणधर चालीसा | Jain Gautam Ganadhar Chalisa  Shri Gautam Ganadhar Chalisa ( गौतम गणधर चालीसा) full in Hindi - (श्री गौतम गणधर चालीसा प्रारंभ) दोहा - वंदूँ वीर जिनेन्द्र को, मन वच तन कर शुद्ध। उनके गणधर शिष्य को, नमूँ हृदय कर शुद्ध।।१।। श्री गौतम गणधर हुए, गणनायक मुनिराज। जिनकी वाणी सुन बने, अन्य बहुत मुनिराज।।२।। उन गणधर भगवान का, चालीसा सुखकार। है सम्यक् श्रुतज्ञान का, यह भी इक आधार।।३।। चौपाई - जय हो वीतराग प्रभु वाणी, वीर दिव्यध्वनि जगकल्याणी।१।। बने नाथ जब केवलज्ञानी, समवसरण रचना के स्वामी।।२।| दिव्यध्वनी जब ...

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti | Kshetrapal Aarti

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi | क्षेत्रपाल बाबा की आरती Here we have provided full Aarti of Shri Kshetrapal Bhairav Baba in Hindi Language for which you are looking for. Kshetrapal baba ki Aarti, Kshetrapal Bhairav Aarti, क्षेत्रपाल बाबा की आरती, Kshetrapal dada ni Aarti all of this search result is Here. क्षेत्रपाल बाबा की आरती, क्षेत्रपाल आरती Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi Lyrics is as given below - करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की । विजयवीर अरु मणिभद्र की, अपराजित भैरव आदि की ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की। ।   शिखर मणिमय मुकुट विराजै, कर में आयुध त्रिशुल जुराजै। कूकर वाहन शोभा भारी, भूत – प्रेत दुष्टन भयकारी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।। लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना । जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शांतिमय कीनी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।।   जिन भक्तन की रक्षा करते, दुःख दारिद्र सभी भय हरते । पुत्रादि वांछा पूरी करते, मनोकामना पूरी करत...