Skip to main content

Dharmnath Chalisa | धर्मनाथ भगवान चालीसा

धर्मनाथ चालीसा | Dharmnath Chalisa | धर्मनाथ भगवान चालीसा 

Here we have provided full lyrics of Jain Chalisa Shri (धर्मनाथ ) Dharmnath Bhagwan Chalisa in Hindi language to read and share. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community such as Aarti, Jain stavan, Jain Bhajan, Jain stuti, jain stavan lyrics, jain HD wallpapers and much more. 

If you want to read All Jain Tirthankar Chalisa then you can simply Click Here which will redirect you to all Jain Tirthankar Chalisa Page.

Dharmnath (धर्मनाथ ) Bhagwan Chalisa

Dharmanath Bhagwan Chalisa in Hindi is as given below -

( श्री धर्मनाथ चालीसा प्रारंभ )
दोहा -
उत्तम क्षमा अदि दस धर्म,प्रगटे मूर्तिमान श्रीधर्म ।
जग से हरण करे सन अधर्म, शाश्वत सुख दे प्रभु धर्म ।।

चौपाई -
नगर रतनपुर के शासक थे, भूपति भानु प्रजा पालक थे।
महादेवी सुव्रता अभिन्न, पुत्रा आभाव से रहती खिन्न ।।

प्राचेतस मुनि अवधिलीन, मत पिता को धीरज दीन ।
पुत्र तुम्हारे हो क्षेमंकर, जग में कहलाये तीर्थंकर ।।

धीरज हुआ दम्पति मन में, साधू वचन हो सत्य जगत में ।
मोह सुरम्य विमान को तजकर, जननी उदर बसे प्रभु आकर ।।

तत्क्षण सब देवों के परिकर, गर्भाकल्याणक करें खुश होकर ।
तेरस माघ मास उजियारी, जन्मे तीन ज्ञान के धारी ।।

तीन भुवन द्युति छाई न्यारी, सब ही जीवों को सुखकारी ।
माता को निंद्रा में सुलाकर, लिया शची ने गोद में आकर ।।

मेरु पर अभिषेक कराया, धर्मनाथ शुभ नाम धराया ।
देख शिशु सौंदर्य अपार, किये इन्द्र ने नयन हजार ।।

बीता बचपन यौवन आया, अदभुत आकर्षक तन पाया ।
पिता ने तब युवराज बनाया, राज काज उनको समझाया ।।

चित्र श्रृंगारवती का लेकर, दूत सभा में बैठा आकर ।
स्वयंवर हेतु निमंत्रण देकर, गया नाथ की स्वीकृति लेकर ।।

मित्र प्रभाकर को संग लेकर, कुण्डिनपुर को गए धर्मं वर ।
श्रृंगार वती ने वरा प्रभु को, पुष्पक यान पे आये घर को ।।

मात पिता करें हार्दिक प्यार, प्रजाजनों ने किया सत्कार ।
सर्वप्रिय था उनका शासन, निति सहित करते प्रजापालन ।।

उल्कापात देखकर एकदिन, भोग विमुख हो गए श्री जिन ।
सूत सुधर्म को सौप राज, शिविका में प्रभु गए विराज ।।

चलते संग सहस नृपराज, गए शालवन में जिनराज ।
शुक्ल त्रयोदशी माघ महीना, संध्या समय मुनि पदवी गहिना ।।

दो दिन रहे ध्यान में लीना, दिव्या दीप्ती धरे वस्त्र विहिना ।
तीसरे दिन हेतु आहार, पाटलीपुत्र का हुआ विहार ।।

अन्तराय बत्तीस निखार, धन्यसेन नृप दे आहार ।
मौन अवस्था रहती प्रभु की, कठिन तपस्या एक वर्ष की ।।

पूर्णमासी पौष मास की, अनुभूति हुई दिव्यभास की ।
चतुर्निकाय के सुरगण आये, उत्सव ज्ञान कल्याण मनाये ।।

समोशरण निर्माण कराये, अंतरिक्ष में प्रभु पधराये ।
निराक्षरी कल्याणी वाणी, कर्णपुटो से पीते प्राणी ।।

जीव जगत में जानो अनन्त, पुद्गल तो हैं अनन्तानन्त ।
धर्म अधर्म और नभ एक, काल समेत द्रव्य षट देख ।।

रागमुक्त हो जाने रूप, शिवसुख उसको मिले अनूप ।
सुन कर बहुत हुए व्रतधारी, बहुतों ने जिन दीक्षा धारी ।।

आर्यखंड से हुआ विहार, भूमंडल में धर्मं प्रचार ।
गढ़ सम्मेद गए आखिर में, लीन हुए निज अन्तरंग में ।।

शुक्ल ध्यान का हुआ प्रताप, हुए अघाती धात निष्पाप ।
नष्ट किये जग के संताप, मुक्ति महल पहुचे आप ।।

सोरठा -
ज्येष्ठ चतुर्थी शुक्ल पक्षवर, पूजा करे सुर, कूट सुदत्तवर ।
लक्षण वज्रदंड शुभ जान, हुआ धर्म से धर्म का मान ।।

जो प्रतिदिन प्रभु के गुण गाते, अरुणा वे भी शिवपद पाते ।।
( समाप्त )

If you are interested for Jain quotes, jain status and download able jain video status then you can simply Click Here

You can read Barah Bhavna lyrics by simply Clicking Here
You can also read Meri Bhavna Lyrics simply by Clicking Here

Hopefully this Article will be helpful for you. Thank you 

Popular posts from this blog

Padmavati Chalisa | पद्मावती चालीसा

Padmavati Chalisa | Padmavati Chalisa Lyrics | पद्मावती चालीसा जैन Here we have provided full lyrics of Jain Chalisa - Padmavati Mata Chalisa, Padmavati Chalisa (पद्मावती चालीसा) in Hindi language to read and share. Here we upload all type of Jainism related content and information for Jain Community such as Aarti, Jain stavan, Jain Bhajan, Jain stuti, jain stavan lyrics, jain HD wallpapers and much more. If you are Interested to read 24 Jain Tirthankar Argh of each separate one then you can simply  Click Here   If you are interested to read Any of Jain Tirthankar Chalisa then you can simply  Click Here  then you will be redirect to all Jain Tirthankar Chalisa Page and then you can read any of them. Padmavati Chalisa | पद्मावती चालीसा Padmavati Chalisa ( पद्मावती चालीसा ) full lyrics in Hindi - ( पद्मावती माता चालीसा प्रारंभ ) दोहा - पार्श्वनाथ भगवान को मन मंदिर में ध्याय | लिखने का साहस करूं चालीसा सुखदाय ||!|| उन प्रभुवर श्री पार्श्व की, यक्षी मात महान | पद्मावति जी नाम है, सर्व गुणो

Kshetrapal Chalisa | क्षेत्रपाल चालीसा | Kshetrapal Bhairav Chalisa | Kshetrapal Chalisa Lyrics

Kshetrapal Chalisa | क्षेत्रपाल चालीसा | Kshetrapal Chalisa Lyrics | Kshetrapal Chalisa in Hindi   Here we have provided full lyrics of Shri Kshetrapal Bhairav Chalisa ( क्षेत्रपाल चालीसा ) in Hindi Language. Here we upload all type of Jainism related Content and Information such as Jain stavan, jain status, jain stuti, jain lyrics for Jain Community.  Kshetrapal Bhairav baba chalisa in hindi  Kshetrapal Baba chalisa( क्षेत्रपाल चालीसा ) lyrics in Hindi is as given below - ( श्री क्षेत्रपाल चालीसा प्रारंभ ) दोहा - क्षेत्रपाल महाराज को, मन मंदिर में ध्याय | लिखने का साहस करूं, चालीसा सुखदाय ||१|| विघ्नहरण मंगलकरण, क्षेत्रपाल महाराज | करूं भक्ति श्रद्धा सहित, पूर्ण करो सब काज ||२|| चौपाई - जैनधर्म प्राकृतिक कहाया,ग्रन्थ पुराण में है बतलाया ||१|| उसमें वर्णित कई वाक्य हैं,तीर्थंकर प्रभु वचन सार्थ हैं ||२|| हुए पूज्य आचार्य हमारे,उन वचनों को मन में धारें ||३|| पुनः प्राणि हित बतलाया है,जिसने उसको अपनाया है ||४|| वह समयग्दृष्टी कहलाया,ऊर्ध्वगती को उसने पाया ||५|| पूज्यपाद आचार्य एक हैं,क

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti | Kshetrapal Aarti

Kshetrapal Bhairav Aarti | Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi | क्षेत्रपाल बाबा की आरती Here we have provided full Aarti of Shri Kshetrapal Bhairav Baba in Hindi Language for which you are looking for. Kshetrapal baba ki Aarti, Kshetrapal Bhairav Aarti, क्षेत्रपाल बाबा की आरती, Kshetrapal dada ni Aarti all of this search result is Here. क्षेत्रपाल बाबा की आरती, क्षेत्रपाल आरती Kshetrapal Baba ki Aarti in Hindi Lyrics is as given below - करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की । विजयवीर अरु मणिभद्र की, अपराजित भैरव आदि की ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की। ।   शिखर मणिमय मुकुट विराजै, कर में आयुध त्रिशुल जुराजै। कूकर वाहन शोभा भारी, भूत – प्रेत दुष्टन भयकारी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।। लंकेश्वर ने ध्यान जो कीना, अंगद आदि उपद्रव कीना । जभी आपने रक्षा कीनी, उपद्रव टारि शांतिमय कीनी ।। करूं आरती क्षेत्रपाल की, जिन पद सेवक रक्षपाल की ।।   जिन भक्तन की रक्षा करते, दुःख दारिद्र सभी भय हरते । पुत्रादि वांछा पूरी करते, मनोकामना पूरी करते ।। करूं